खिलौनों की दुनिया से एक कहानी

याद रही किताबें - 3

विश्व साहित्य : इंग्लैण्ड 
कृति – Hannibal and the Bears
लेखिका – मार्गरेट जे० बेकर 
प्रकाशन वर्ष - 1965
भाषा - अंग्रेजी


मार्गरेट जे० बेकर को मैंने उनके टेडी बीयर सीरिज (प्रकाशन वर्ष 1964 से 1972 तक) के दो उपन्यासों के माध्यम से जाना था. मेरे विचार से वे अंग्रेजी बाल साहित्य की एक प्रमुख लेखिका हैं जिन्होंने पचास से ज्यादा बच्चों की किताबें लिखी हैं. हालाँकि गूगल का सर्च इंजन उनके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं रखता. ऐसा प्रतीत होता है कि आज की पीढ़ी के बच्चे उनकी अधिकांश कृतियों के बारे में कम ही जानते होंगे. जिस शहर में मेरी स्कूली शिक्षा हुई वहाँ किताबों की रेंज नहीं मिलती थी. ना ही बच्चों और किशोर पाठकों के लिए कोई सक्रिय लाइब्रेरी ही थी. जिसकी वजह से मैं एक लम्बे समय तक अच्छी किताबों से महरूम रहा. ख़ासकर विश्व बाल साहित्य की. लेकिन कभी-कभार कुछ किताबों के मिलने का सिलसिला नियमित रहा था. जिस वजह से आज के उपलब्ध समय की तुलना में वह समय गहनता से पढ़ने के लिहाज से ज्यादा माकूल लगता था.  

बहरहाल मार्गरेट जे० बेकर के इस टेडी बीयर सीरिज में कुल 6 उपन्यास हैं. यह सीरिज इंग्लिश टाउन के एक शू शॉप में रहने वाले तीन टेडी बीयर्स के रोमांचक सफ़र के इर्द-गिर्द घूमती है. मैंने भी इस सीरिज के शुरुआती दो उपन्यास ही पढ़े हैं – The Shoe shop Bears और Hannibal and the Bears.  बाकी किताबें पढ़ने की इच्छा जरूर थी, लेकिन वे किताबें मेरे लिए अबतक अनुपलब्ध रही हैं.  दोनों उपन्यास अपने पात्रों ‘बूट्स’ ‘स्लिपर्स’ और ‘सॉक्स’ के गठन और नयेपन की वजह से अनूठे लगते हैं. ऐसा नहीं है कि टेडी बीयर या खिलौनों को पात्र बनाकर इससे पहले किताबें नहीं लिखी गई थीं. 1926 में एए मिलने विनी द पू जैसा कालजयी संग्रह रच डाला था जिसका मुख्य पात्र एक टेडी बीयर था. फिर भी मार्गरेट के टेडी बीयर्स सामाजिक जीवन में ज्यादा रचे बसे और जीवंत प्रतीत होते हैं. दूसरा भाग ‘हनीबल एंड द बियर्स’ अपने कथानक और संवेदनशीलता की वजह से मुझे अब तक याद रह गया है. जबकि ये उपन्यास मेरे शुरुआती पढ़ी किताबों में से है. Hannibal and the Bears उपन्यास को मैंने 1996-97 में पढ़ा था. जबकि इसका प्रकाशन 1965 का है. मार्गरेट जे० बेकर की यह नवीं किताब थी. इस किताब में कुछ श्वेत श्याम इलस्ट्रेशन भी हैं जिसे C. Waltor Hodges ने बनाए हैं. इन्होने इस सीरिज की पहली किताब The Shoe shop Bears का भी इलस्ट्रेशन किया था. C. Waltor Hodges एक अंग्रेजी कलाकार और लेखक थे जिन्हें बच्चों की किताबों को चित्रित करने और एलिजाबेथन थिएटर को फिर से बनाने में मदद करने के लिए जाना जाता था। 

उपन्यास सीरिज के पहले भाग ‘The Shoe shop Bears’ की शुरुआत एक ठण्ड के मौसम की शाम से होती है. जिसमें बूट्स, ‘स्लिपर्स’ और ‘सॉक्स’ के साथ बैठा हुआ है. उसके मन में एक ‘Bearography’ लिखने की सोच रहा है, जिसमें वह शू शॉप के अनुभवों को लिखना चाहता है. लेकिन वह कहानी कभी नहीं लिखी जा सकी क्योंकि बूट्स के लिए पेंसिल को दोनों पंजों से भी पकड़ना मुश्किल हो गया। इस लिए उन तीनों ने उस कहानी को केवल अपने मन में ही रखा. तीनों जिस शॉप में रखे गए थे वहाँ खरीददारों के बच्चे उनके साथ खेलते थे. उनके नाम भी उन्हीं वस्तुओं के आधार पर रखे गए थे जो उस शॉप में बिक्री होती थीं. इस तरह वे तीनों एक अच्छा जीवन बिता रहे थे. ये तब तक चलता रहा जब तक पुराना दुकानदार रिटायर्ड नहीं हो गया. नए दुकानदार को इनकी फ़िक्र नहीं थी. एक दिन उसने इन तीनों पुराने पड़ चुके टेडी बीयर्स को फिश एक्वेरियम से बदलना तय करता है.  तीनों टेडी बीयर्स को शॉप से हटा लिया जाता है. तीनों डर जाते हैं कि कहीं उन्हें कूड़े के डिब्बे में तो नहीं फेंक दिया जाएगा. पोली ट्रिंकेट जिसने हाल में ही स्कूल ड्राप करके शॉप में काम करना शुरू किया था, वह उनकी दोस्त बन गई थी. वह नए मैनेजर से बात करती है और तीनों टेडी बीयर्स को लेकर एक क्रिसमस की पूर्व संध्या पर अपने घर चली आती है. पोली के तीन छोटे भाई बहन हैं, जो टेडी बीयर्स देखकर खुश होते हैं.  यहाँ से तीनों टेडी बीयर्स का नया जीवन शुरू होता है. यहाँ तक की कहानी पहले उपन्यास की है. 

Hannibal and the Bears मुख्य रूप से सॉफ्ट टोय्ज़ के रेस्क्यू की कहानी कहता है. उसकी शुरुआत इस तरह होती है कि तीनों टेडी बीयर्स नए घर में खुश हैं. उन्हें यहाँ बहुत प्यार मिलता है, उनका ख्याल रखा जाता है. हमेशा उनकी साफ़-सफ़ाई होती रहती है. लेखिका ने उन बहुत विस्तार से अच्छे दिनों को लिखा है. कहानी में पहला मोड़ तब आता है जब तीनों टेडी बीयर्स एक खिड़की पर बैठकर सड़क की चहल-पहल देख रहे होते हैं. सामने से एक कूड़े का ट्रक गुजरता है. बूट्स उस ट्रक में एक टेडी बीयर को पड़ा देखता है.  वह कहता है कि – जरूर उस टेडी बीयर को कूड़े के ढेर में ले जाकर फेंक दिया जाएगा. उन्हें उसे बचाना चाहिए. सॉक्स कहता है – कितनी बुरी बात है कि नए खिलौनों का तो ध्यान रखा जाता है लेकिन जैसे ही वे कुछ पुराने होते हैं उन्हें बेदर्दी से फेंक दिया जाता है. कोई सोचता ही नहीं कि पुराने और बूढ़े खिलौनों को भी एक घर चाहिए होता है. 

कहानी में जैसे ही इस तरह की बातचीत का प्रवेश होता है, पूरा विमर्श एक वाजिब मुद्दे पर शुरू हो जाता है. यहाँ से कहानी एक से अधिक लोगों की संवेदना से जुड़नी शुरू हो जाती है. 

कहानी आगे बढ़ती है जब तीनों टेडी बीयर्स होब्सन नाम की बिल्ली से पूछते हैं कि शहर में कचरा कहाँ फेंका जाता है? होब्सन तीनों को उस जगह का पता बता देती है. तीनों उस जगह की ओर निकल पड़ते हैं. वे एक पब्लिक बस से यात्रा शुरू करते हैं. बस में लोग अपनी-अपनी हड़बड़ी में होते हैं. या तो किसी की उनपर नजर नहीं जाती, या फिर उन्हें देखकर वे सोचते हैं कि शायद किसी बच्चे का खिलौना बस में छूट गया होगा. 

तीनों शहर से बाहर उस कूड़ाघर पहुँचते हैं जो बेसहारा खिलौनों का आश्रय था. चारों ओर से कंटीले तारों से घिरी जगह में अनगिनत पुराने खिलौने फेंकें हुए थे. सॉक्स पूछता है – क्या इन सभी को हमारी तरह घर नहीं मिल सकता? अगर हम इन सभी को अपने साथ ले चलें तो कैसा हो? बूट्स पहले तो मना करता है. उसे लगता है कि कहीं इनकी वजह से उन्हें ही घर से निकाल दिया गया तो? फिर वे उस टेडी को ढूँढते हैं जिन्हें उन्होंने कूड़ा गाड़ी में देखा था. थोड़ी मशक्कत के बाद वह उन्हें मिल जाता है. उसका नाम बोस्टन था. वह अभी नया ही था, परन्तु बच्चों की गलती की वजह से वह कूड़े में फेंक दिया गया था. वे बोस्टन को अपने साथ ले जाना चाहते थे. लेकिन फिर उनके मन में यह ख्याल आता है कि क्या केवल एक को ले जाना ठीक रहेगा. बाकी खिलौनों को कितना बुरा लगेगा. वे खिलौनों से बात करते हैं. कुछ साथ चलने के लिए तैयार भी हो जाते हैं. अब एक नई समस्या थी कि इन खिलौनों को कैसे ले जाया जाय? उन्हीं खिलौनों में से कोई हनीबाल हाथी का नाम सुझाता है. हनीबाल के जीवन का अपना दर्शन था. उसे इस बात की तनिक चिंता न थी कि वह कचरे के ढेर में रहता है. वह कहता है – दुनिया में अमीर-गरीब सभी हैं. कुछ महलों में रहते हैं, कुछ खुले में सोते हैं. जब हम सभी को बेकार और टूटा-फूटा समझकर फेंक दिया गया है तो  अब हमें दुबारा कौन अपने घर में रखेगा. 

हनीबाल को समझाने से वह तैयार हुआ. उसने कहा कि मेरे पीछे एक गाड़ी बाँध दो. सारे खिलौने जो जाना चाहते हैं, उसमें बैठ जाएँ. इस तरह खिलौनों के साथ तीनों टेडी बीयर्स घर की ओर चले. जो जा रहे थे वे खुश थे, जो रह गए थे वे उदास थे. सभी के मन में बस एक ही बात थी कि क्या वे कभी मिल पायेंगे. 

पोली ट्रिंकेट के घर में रात को वे सभी पहुँचे. तीनों टेडी घर के अन्दर चले गए. फिर धीरे-धीरे सभी को बुलाकर घर में छुपा दिया . सभी मिलकर योजना बनाने लगे कि नए खिलौनों को घर में कैसे रखा जाए ताकि घर के लोगों को शक न हो. घर वाले थोड़ा अचरज में थे क्योंकि उन्हें नए खिलौने अचानक से दिखाई देते और फिर गायब हो जाते. वे सोचते कि इन खिलौनों को लेकर कौन आया है?

हनीबाल घर वापस जाना चाहता था. लेकिन टेडी बीयर्स ने उसे जाने से मना किया.  वह जा नहीं पाया परन्तु घर के बच्चों के बीच वह बहुत लोकप्रिय हो गया था.  सभी उसके साथ दिन भर खेलते, उससे प्यार करते. टेडी बीयर्स को लगता जैसे हनीबाल  की वजह से उनकी इज्जत कम हो गई है. लेकिन अब वे कर भी क्या सकते थे? घर की मीटिंग में यह बात अक्सर होती कि कूड़ाघर के खिलौनों को यहाँ ले आना चाहिए. लेकिन उनको दया नहीं आत्मसम्मान के साथ जीने का अवसर चाहिए. 

एक रात शहर में मूसलाधार बरसात हुई. चारों तरफ पानी भर गया. तीनों टेडी बीयर्स कुछ अन्य खिलौनों के साथ कूड़ाघर के अन्य खिलौनों की खोज-खबर लेने पहुँचे. बेघर खिलौनों की बस्ती डूब गयी थी. सभी परेशान थे. टेडी बीयर्स उन्हें पोली ट्रिंकेट के घर लेकर आ गए. अब सभी बेघर खिलौने खुश थे. 

जो नए खिलौने आए थे, उनमें से कुछ शरारती भी थे. तीनों टेडी बीयर्स उनकी शरारत से परेशान भी थे. एक बार उनकी बहस भी हुई. यह देखकर हनीबाल को अच्छा नहीं लगा. उसने तीनों टेडी बीयर्स से खिलौनों की शैतानी के लिए माफ़ी माँगी. फिर सभी को लेकर उसी रात घर छोड़कर चला गया. तीनों टेडी बीयर्स उदास उन्हें जाता देखते रहे.  


खिलौनों के जाने से घर खाली हो गया. पोली ट्रिंकेट की एक बहन थे ऑउड्रे, वह हनीबाल से बहुत खेलती थी. उसके जाने से वह उदास रहने लगी. वह सोचती कि आखिर हनीबाल कहाँ चला गया? अचानक उसके पेट में दर्द शुरू होना शुरू हुआ. मर्ज गंभीर था. डॉक्टर ने उसका ऑपरेशन किया. बाद में जब उसे होश आया तो उसने हनीबाल के बारे में पूछा. डॉक्टर ने उसकी माँ से खिलौना हाथी लेकर आने को कहा. लेकिन वह होता तब न मिलता. तीनो टेडी बीयर्स परेशान थे. उनकी वजह से सभी खिलौने घर छोड़कर चले गए थे. तीनों को इसका अफ़सोस था. 

तीनों उन खिलौनों को ढूँढने निकले. कूड़ा बस्ती तो पानी में डूब गई थी. खोजते-खोजते वे खिलौने एक निर्माणाधीन ईमारत के एक गोदाम में मिले. उन्होंने हनीबाल को सारी बात कह सुनाया. हाथी उदास हो गया. वह ऑउड्रे से मिलने अस्पताल पहुँचा. उसे पास पाकर ऑउड्रे अपनी बीमारी भूल गई. बूट्स ने एक सुझाव दिया कि सारे खिलौनों को बच्चों के अस्पताल में रहना चाहिए. खिलौने कैसे भी हो बीमार बच्चे उन्हें पाकर खुश हो जाते हैं. 

अचानक अस्पताल में इतने खिलौने देखकर सभी अचरज में थे. हनीबाल का मन थे कि अस्पताल में वह अपने दोस्तों के साथ ही रहे पर ऑउड्रे उसे छोड़ने को तैयार नहीं थी. 

अबतक पढ़ी कहानियों में इस कहानी का अंत मुझे बहुत प्रभावित करता है. पूरी कहानी का ट्रीटमेंट जिस तरह से बाल मनोविज्ञान और सामाजिक जिम्मेदारियों के ताने-बाने में किया गया है, उसी तरह अंत बड़ा ही अनोखा लेकिन सुखद लगता है.


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