क्रिस्टी, बर्ल और बिजली की दरार
याद रहीं किताबें - 01
विश्व साहित्य : स्वीडन
कृति – The Robber’s Daughter
लेखिका – एस्ट्रिड लिंडग्रेन
प्रकाशन वर्ष - 1981
भाषा - स्वीडिश
हिंदी में विदेशी भाषाओँ से अनुदित बाल उपन्यासों की भी एक बड़ी संख्या है. जो निरंतर पाठकों को लुभाते रहे हैं. अक्सर ये विदेशी उपन्यास संक्षिप्त और रूपांतरित होकर हिंदी बाल पाठकों तक पहुँच पाते हैं. फिर भी यदि रूपांतरण अच्छा और समझदारीपूर्वक हुए हों तो इनमें मूल कथानक का पूरा रस-आनंद बना रहता है. अलग भौगोलिक एवं सांस्कृतिक जमीन पर लिखी गई कहानी अपने कथ्य और विवरणों से पाठकों के मन में गहरे तक उतरती हैं. विविध विषयों में सामान्यता इस दुनिया से अलग किस्म की बसाई गई दुनिया होती है, जिसके बारे में शब्द-शब्द साँस रोककर पढ़ना पड़ता है. यह कहानियाँ कहीं-न-कहीं उन वास्तविक साहसिक अभियानों की स्मृतियाँ हैं, जिन्हें पढ़ते हुए बार-बार मनुष्य की दुर्निवार जिज्ञासा और प्रकृति को जीतने की दुर्दम्य इच्छा का पता चलता है. इसी तरह फंतासी पर आधारित उपन्यासों का बच्चों के लिए एक अलग आकर्षण होता है अगर उनके पीछे कथा और कल्पना का अनूठापन है.
शायद यही वजह है कि ये उपन्यास दुनिया
के बाल पाठकों में इस कदर प्रसिद्ध हुए कि भाषा की दीवारें खुद-ब-खुद टूटती चली
गईं. सारी दुनिया के बच्चों ने खूब रस और आनंद लेते हुए उन्हें पढ़ा और फिर हमेशा
के लिए अपने दिल में बसा लिया. ऐसे उपन्यास बच्चों के मन को बहुत जल्दी छू लेते
हैं. ये उपन्यास हमें कभी न भूलने वाले जादुई संसार में ले जाते हैं और हमेशा के
लिए हमारे अवचेतन का हिस्सा बन जाते हैं.
आज ऐसी ही एक किताब के बारे में चर्चा करने जा रहा हूँ जिसे मैंने तकरीबन 25-26 सालों पहले पढ़ा था.
इस बाल उपन्यास के अबतक 39 भाषाओं में अनुवाद हुए हैं। दो अलग-अगल
संस्करण तो अंग्रेजी भाषा में ही उपलब्ध हैं - The Robber's Daughter (अनुवाद 1983, Methuen) और Ronia, the
Robber's Daughter (अनुवाद 1985, Puffin). यह
उपन्यास मूल रूप से स्वीडिश में १९८१ में प्रकाशित हुआ. बाद में इस उपन्यास पर 1984 में फिल्म और 2014 में टी०वी० सीरिज बनीं. बच्चों
की पत्रिका नंदन ने अपने स्तम्भ विश्व की महान कृतियाँ के अंतर्गत अप्रैल, 1994 अंक में ‘ख़ुशी का दिन’ शीर्षक से इसका सार
संक्षेप प्रस्तुत किया था. मुझ तक The Robber's Daughter (अंग्रेजी,
अनुवाद 1983, Methuen) ही पहुँची थी.
उपन्यास की शुरुआत
बड़े ही अजीबोगरीब ढंग से होती है. एक तूफानी रात में बिजली कड़ककर पहाड़ी के शिखर पर
बने किले पर गिरती है. किला पहाड़ी समेत दो भागों में बंट जाता है. दोनों भागों के
बीच अब होती है 6 फ़ीट चौड़ी और अनंत गहरी खाई. बिजली गिरने के वक्त दो घटनाएं और
घटती हैं. मैट की पत्नी लेना बेटी को जन्म देती है. जिसका नाम क्रिस्टी रखा जाता
है. मैट खुश है कि रानुल्फ़ को कोई संतान नहीं है. इसकी वजह से उसकी बेटी को किसी
बात का डर नहीं होगा. वह इस जंगल पर बेखटके राज करेगी.
दोनों परिवारों के
बीच की दुश्मनी की वजह से यह सन्देश एक दूसरे तक नहीं गया कि दोनों परिवारों में
नए बच्चे आए हैं. स्किनी पैट जो मैट के
परिवार का सबसे बुजुर्ग सदस्य होता है वह बताता है कि रानुल्फ़ की पत्नी हाना ने एक
बेटे को जन्म दिया है. जिसका नाम रखा जाता है बर्ल. मैट अपनी बेटी को बेटे जैसा
बड़ा करता है. डाकू क्रिस्टी को बहुत प्यार करते हैं. धीरे-धीरे बड़ी हो रही क्रिस्टी
बेख़ौफ़ उस इलाके में इधर से उधर घूमती है. शाम को किले में वापस लौट आती. पैट उसे कहानियाँ सुनाता, माँ उसे गीत सुनाती.
एक बार जंगल में घूमते
हुए क्रिस्टी को देर हो गई. वह वहीँ नदी के किनारे सो गई. उसकी नींद टूटी तो खुद
को बौनों के बीच पाया. उन्हें देखकर वह डर गयी. इधर क्रिस्टी के घर नहीं लौटने से मैट
गुस्सा हो जाता है. क्रिस्टी को खोजने निकल पड़ता है. इस घटना के बाद क्रिस्टी अब
जंगल नहीं जाती. एक दिन वह किले को बांटने वाली दरार को देखने के लिए किले के छत
पर चढ़ गई. उसे उस दिन उस दरार की गहराई का अंदाजा हुआ. दरार के उस पार उसे एक लड़का
दिखाई देता है जो दरार में पैर लटका कर बैठा है. वह रानुल्फ़ का बेटा बर्ल था. बातों-बातों
में बर्ल उस दरार को फांद कर क्रिस्टी के तरफ चला आता है. दोनों की जान-पहचान होती
है.
उस रात क्रिस्टी
मैट से पूछती है कि डाकू कौन होते हैं? मैट उसे बताता है कि – डाकू लोगों से उसकी
चीजें छीन लेते हैं. क्रिस्टी कहती है कि उसे यह बात पसंद नहीं कि कोई डाकू उसका
पिता हो.
मैट को क्रिस्टी
का बाहर जाना पसंद नहीं था. कुछ ऐसी घटनाएं घटती हैं जिससे दोनों परिवार एक दूसरे
के सामने आ जाते हैं. मैट उससे नाराज होकर कहता है उसकी कोई बेटी नहीं है. वह उसका
बाहर निकलना बंद कर देता है. पैट की मदद
से वह किले के गुप्त रास्ते खोज लेती है. बर्ल से मिलती है. दोनों अपने परिवारों
की सच्चाई जान जाते हैं. दोनों अब डाकू के परिवार में नहीं रहना चाहते. लेकिन उनके
चाहने से न तो मैट बदलने वाला था, न ही रानुल्फ़. दोनों अपना घर छोड़ कर जंगल की एक
गुफा में रहने लगते हैं. जंगल का जीवन और प्रकृति उन्हें बहुत भाती है. इधर पैट,
मैट को समझाता है कि बेटी गुफा में रह रही है. उसे ले आओ. शुरू में मैट तो नहीं
मानता. बाद में वह उसे मनाने को तैयार हो जाता है. क्रिस्टी उससे बर्ल को भी साथ
ले चलने को कहती है. वह दोनों को अपने कंधे पर बिठाकर घर ले आता है. मैट की पत्नी लेना
यह देखकर ख़ुशी से रोने लगती है. मैट कहता है -रोती क्यों हो. आज तो ख़ुशी का दिन
है. बर्ल सुरंग के रास्ते रानुल्फ़ से मिलता है और सारी बात बताता है. रानुल्फ़ कहता
है कि मैट इतना बुरा नहीं है. उधर मैट लेना से कहता है कि रानुल्फ़ से दुश्मनी ठीक
नहीं.
पूरा उपन्यास तेजी
से बदलते घटनाक्रमों के कारण पाठको को बाँध कर रखता है. मौसमों के साथ बदलते
घटनाक्रम का लिखा जाना उसके प्रभाव को और गाढ़ा कर देता है. बिजली से किले का दो
भागों में बंट जाना एक अद्भुत कल्पना है. बर्ल का उस दरार को फांद कर इधर आना और
क्रिस्टी का उधर जाना रोमांच से भर देता है. इस खेल में एक बार बर्ल दरार में गिर
जाता है. यह दृश्य एक तरह से साँसें रोक देने वाला लगता है, जिसमें क्रिस्टी अपने
कमर में बंधी चमड़े की बेल्ट से उसे निकालती है. कुल मिलकर उपन्यास पठनीय और रोचक
लगता है जो १० + उम्र के बच्चों को बहुत प्रभावित करेगा.
मूल उपन्यास में क्रिस्टी का नाम रोंजा या रोनिया है, लेना का लोविस, रानुल्फ़ का बोरका, बर्ल का बिर्क. स्वीडिश से अंग्रेजी अनुवाद के पहले संस्करण में नाम बदले गए हैं. Puffin ने अपने प्रकाशन में लगभग मूल नामों को रखा है.
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