माजदा कूम और हाज़ी की दोस्ती

याद रही किताबें – 04


विश्व साहित्य : अमेरिका 
कृति – बर्मा बॉय
लेखक – विलिस लिंडक्विस्टि
प्रकाशन वर्ष – 1953
भाषा - अंग्रेजी

बच्चों की कहानियों में हाथी हमेशा से ही खास रहे हैं। उनकी बड़ी सी सूरत देखकर बच्चे हैरान हो जाते हैं। उनका शांत स्वभाव उन्हें डराता नहीं, बल्कि भाता है। हाथी बहुत समझदार होते हैं। उनके परिवार मूल्य भी बहुत मजबूत होते हैं। वे झुंड में रहते हैं, एक-दूसरे का बहुत ध्यान रखते हैं। हाथी वफादार दोस्त भी होते हैं, जो हमेशा साथ देते हैं। हाथियों की भावनाएँ भी इंसानों जैसी होती हैं, वे समझते हैं और महसूस करते हैं, इसलिए बच्चे उन पात्रों से आसानी से जुड़ पाते हैं।

 हाथियों की बड़ी-बड़ी आँखें और सूँड उन्हें बहुत प्यारा बनाती हैं। किताबों में उनका चित्रण बच्चों का ध्यान खींचता हैं। हाथी के बच्चे तो इतने प्यारे होते हैं कि उन्हें देखकर सबका मन खुश हो जाता है। कुल मिलाकर, हाथी बच्चों की कहानियों में इसलिए खास हैं क्योंकि वे बहुत कुछ सिखाते हैं, हमें हँसाते हैं, और हमें एक अच्छी दुनिया का सपना दिखाते हैं।

बचपन से लेकर आजतक कहानियों, कविताओं और उपन्यासों में हाथियों ने हमेशा से ही मुझ जैसे पाठक को आकर्षित किया है।  इन शानदार प्राणियों को आधार बनाकर लिखे जाने वाले साहित्य की जैसे एक परंपरा ही विकसित हुई है। इस परंपरा ने मुख्य रूप से हाथी और इंसानों के बीच भावात्मक एवं गहरे रागात्मक संबंधों को अलग-अलग तरीके से टटोलने की भरसक कोशिश की है। इन रचनाओं में हम देखते हैं कि बच्चे हाथियों से दोस्ती करते हैं और उन्हें बहुत प्यार करते हैं। अमूमन ये रचनाएँ हमें जंगलों और सूदूर देशों की यात्राओं पर ले जाती हैं, जहां हाथी रहते हैं। कुछ सामान्य से लगने वाले विषय मसलन, हाथियों की समझदारी और मानवीय भावनाओं पर आधारित घटनाक्रम, हाथियों के शिकार और जंगल की रक्षा से संबंधित विषय, जंगल का जीवन आदि ही इन रचनाओं के स्वर होते हैं। विषय/थीम जो भी हों ये रचनाएं एक पाठक के रूप में हमें हाथियों के और करीब तो ले ही जाती हैं। कई कहानियाँ मनुष्यों, खासकर बच्चों और हाथियों के बीच बनने वाले गहरे भावनात्मक संबंधों पर जोर देती हैं। इसमें अक्सर वफादारी, दोस्ती और आपसी सम्मान के विषय शामिल होते हैं। कुछ हाथियों के संरक्षण के महत्व और जंगलों में इन जानवरों के सामने आने वाले खतरों को संबोधित करती हैं। हाथियों को अक्सर एशिया के जंगलों या अफ्रीका के सवाना जैसे विदेशी स्थानों पर होने वाली साहसिक कहानियों में चित्रित किया जाता है। ये कहानियाँ पाठकों को दूर देशों में ले जाती हैं और उन्हें विभिन्न संस्कृतियों से परिचित कराती हैं। हाथी अपनी बुद्धिमत्ता और भावनात्मक गहराई के लिए जाने जाते हैं, और बच्चों की किताबें अक्सर इन गुणों का पता लगाती हैं। किताबें/कहानियाँ इनके सहानुभूति, करुणा और भावनाओं को समझने और प्रतिक्रिया देने की क्षमता के विषयों पर बात करती हैं। 


इन बातों को लिखते हुए मुझे ऐसे कुछ किताबों के उदाहरण याद आ रहे हैं जिनमें हाथी मुख्य पात्र रहे हैं। जैसे

"द स्टोरी ऑफ बाबर"- जीन डी ब्रुनहॉफ द्वारा लिखी गई साहित्य के सबसे प्रिय हाथी की क्लासिक कहानी।
एक शिकारी द्वारा अपनी माँ के मारे जाने के बाद
, बाबर शहर में भागकर पकड़े जाने से बचता है, जहाँ वह दयालु बूढ़ी महिला द्वारा दोस्ती करता है। बाद में, चचेरे भाई सेलेस्टे और आर्थर के साथ, वह हाथियों का राजा बनने के लिए जंगल में लौटता है।

"हॉर्टन हियर्स ए हू!"- डॉ. सूस की इस मशहूर किताब में, हॉर्टन को एक बहुत छोटे कण पर एक पूरी दुनिया
मिलती है
, जिसका नाम हू-विले है। वहाँ छोटे-छोटे लोग रहते हैं, जिन्हें हूज़ कहते हैं। कोई भी हॉर्टन की बात नहीं मानता कि उस कण में लोग हैं, लेकिन हॉर्टन उनकी रक्षा करने का फैसला करता है। वह कहता है, "हर इंसान, चाहे वो कितना भी छोटा हो, एक इंसान ही होता है।"

"डम्बो" डिज्नी की एक लोकप्रिय फिल्म - हेलेन एबर्सन और हेरोल्ड पर्ल द्वारा लिखित, और "रोल-ए-बुक" के प्रोटोटाइप के लिए हेलेन डर्नी द्वारा चित्रित - एक युवा सर्कस हाथी की एक दिल को छू लेने वाली कहानी जो प्रतिकूल परिस्थितियों को पार करते हुए और अपनी अनूठी क्षमताओं का जश्न मनाते हुए उड़ना सीखता है।

 "द एलीफेंट इन द रूम" हॉली गोल्डबर्ग स्लोन द्वारा: यह पुस्तक वास्तविक जीवन के मुद्दों से संबंधित है, और एक हाथी एक युवा लड़की को उन मुद्दों से निपटने में कैसे मदद करता है।

"एल्मर" - डेविड मैकी द्वारा विकसित की गई एक बहुत लोकप्रिय बच्चों की पुस्तक श्रृंखला है जो 1989 में छपी थी। इसमें एल्मर नाम का एक हाथी है, जो अलग रंगों का है, और वो खुश रहता है। इसका मूल स्वर है ‘अलग होना अच्छी बात है। हम जैसे हैं, वैसे ही खुश रहना चाहिए।‘


रूपा हाथी – मिकी पटेल – यह एक दिल छू लेने वाली कहानी है, जिसमें रूपा नाम की एक हाथी अपनी शारीरिक बनावट को लेकर परेशान है। अपने आकार और रंग से दुखी है। कहानी रूपा की खुद को खोजने की यात्रा का वर्णन करती है, जहां वह अपने अनूठे गुणों को अपनाना सीखती है। 

सुजाता एंड वाइल्ड एलीफेंट – शंकर द्वारा लिखित एवं चित्रित यह पुस्तक सुजाता और सुधर्मन नाम के एक जंगली हाथी की कहानी है। “जंगली जानवर भी प्यार और अपनापन समझते हैं और बदले में प्यार देते हैं” इसका मुख्य स्वर है। 

महागिरी – हेमलता और पुलक बिस्वास द्वारा विकसित ‘महागिरी’ एक हाथी की कहानी है। सामाजिक विभेद और उसका हमारे व्यवहार पर प्रभाव इसका मूल स्वर है।

मैग्नीफिसेन्ट मकुना – अरविन्द कृष्ण बाला की लिखी कहानी है जिसका मुख्य पात्र मकुना हाथी है, जिनके दांत नहीं होते। एक हाथी जिसकी उपस्थिति ने उन लोगों को रोका जो जंगल और उसके संसाधनों का दोहन करना चाहते थे। 

अंकल नेहरू प्लीज सेन्ड एन एलीफेंट – देविका करियप्पा द्वारा लिखित ये किताब आजादी के बाद प्रधान मंत्री नेहरू द्वारा मित्र देशों को भेजे जाने वाले हाथियों पर विस्तार से बात करती है।  

ये हाथियों को चित्रित करने वाली कई अद्भुत बच्चों की किताबों के कुछ उदाहरण हैं। इनमें से ज्यादातर किताबें मैंने पिछले डेढ़ दशकों में ही पढ़ी हैं। 


इनसे इतर एक किताब जो अंग्रेजी भाषा में बच्चों का उपन्यास है,  जिसे मैंने कक्षा चार या पाँच में पढ़ा था – ‘बर्मा बॉय’। एक लड़का जो अपने दोस्त हाथी की तलाश में जंगल में भटक रहा है। इतनी ही कहानी मुझे तब तक याद थी, जब तक कि इसे मैंने दुबारा नहीं पढ़ा था।

अचानक पिछले साल इस किताब दुबारा पढ़ने की इच्छा हुई। इंटरनेट पर थोड़ी मशक्कत करनी पड़ी, क्योंकि इसी शीर्षक से कुछ अन्य किताबें भी अब उपलब्ध हैं। लेखक और प्रकाशन वगैरह के नाम याद न होने से मुश्किल थोड़ी और बढ़ गई थी। लेकिन बेसिक स्टोरीलाइन के आधार पर इसे खोजते हुए कुछ साइट्स पर यह दिखाई दिया। उपन्यास मिलते ही इसे एक दो सिटिंग्स में ही पढ़ डाला। लगभग 100 पन्नों का उपन्यास, जिसमें बमुश्किल 10 अध्याय हैं। इसके लेखक हैं विलिस लिंडक्विस्टि। विलिस लिंडक्विस्ट बच्चों के लोकप्रिय लेखक रहे हैं। तीस से ज्यादा किताबें इनके खाते में हैं। बर्मा बॉय उनकी मशहूर किताबों में से है। उन्होंने कुछ पुरानी कहानियों का पुनर्लेखन भी किया है जिनमें “स्टोन सूप” और "बेन-हर" की चर्चा होती है। मशहूर इलस्ट्रेटर निकोलस मोर्डविनॉफ ने इसके चित्र बनाए हैं। बर्मा बॉय का प्रकाशन जनवरी 1953 का है। इस उपन्यास की मूल भाषा अंग्रेजी है। चूंकि इस उपन्यास को अब बाल साहित्य क्लासिक की श्रेणी में रखा जाता है, इसलिए इसके अन्य संस्करण भी पढ़ने को मिल जाते हैं।

 ‘बर्मा बॉय’ हाजी नाम के एक छोटे लड़के की कहानी है, जो माजदा कूम नाम के एक ताकतवर हाथी को बहुत प्यार करता है। दोनों लगभग एक साथ ही बड़े हुए हैं। हाथी गुस्सैल भी है। वह हाजी और उसके पिता के अलावे किसी और भी पास नहीं फटकने देता। हाजी के पिता माजदा कूम के महावत थे। वे एक कैंप में रहते थे। एक बार हाजी के पिता पेड़ से गिरकर घायल हो गए। उन्हें उसी अवस्था में गाँव जाना पड़ा। उनके बाद कैंप में माजदा कूम को संभालना बहुत मुश्किल होने लगा। मालिक के चले जाने से वह बहुत दुखी था। कोई भी उसके दुख को समझ नहीं पाया। एक दिन बह बस्ती से भाग गया। वह जंगल में इधर उधर घूमने लगा। बस्तियां उजाड़ने लगा। उसे लेकर तरह-तरह की अफवाहें हैं। कोई कहता कि माजदा पागल हो गया है, कोई कहता कि वह मर गया। इस बात को दो वर्ष बीत गए थे।

उपन्यास की शुरुआत इसी से होती है जब हाजी को खबर मिलती है की माजदा जिंदा है। इस खबर से उजी लोग (बर्मा में महावत) डर जाते हैं, पर हाजी खुश हो जाता है। शिविर में नए लोगों ने भी हाथी कूम के बारे सुना था, क्योंकि माजदा कूम की प्रसिद्धि जंगलों से लेकर तिब्बत और भारत की दूर की सीमाओं तक, बर्मा के दूर-दराज के कोनों तक फैल गई थी। हाजी को हमेशा से लगता रहा है कि माजदा एक दिन लौट आएगा और फिर से दोनों जंगल में साथ होंगे... और वह हाजी उसे ढूंढ़ने के लिए निकल पड़ता है। हाजी की यह खोज बहुत साहसिक है। शिविर और गाँव के लोग इस बात के लिए सहमत नहीं होते। लोग कहते हैं कि माजदा कून आदमियों से नफरत करता है और उन्हें मार डालता है। लेकिन हाजी नहीं डरता। वह अकेला है जो माजदा कूम को वापस लाने की हिम्मत रखता है।

इस कोशिश में सबसे पहले वह जेनसन नामक अंग्रेज से मिलता है, जो रंगून लम्बर कंपनी का बॉस है। जिसका जंगल में शिविर है। जेनसन लकड़ी का व्यापारी था। उसके लोग बड़े-बड़े पेड़ों को काट डालते, जिन्हें हाथी खींचकर नदी तक ले जाते। माजदा कूम भी भागने से पहले यही काम करता था। उसी की वजह से जेनसन का काम ठप्प हो गया था। वास्तव में माजदा कूम की दहशत की वजह से कोई भी जंगल में नहीं ठहरना चाहता था। माजदा कूम को पकड़ने की कोशिश में जेनसन के दो महावत भी जान से हाथ धो बैठे थे। जेनसन को किसी ने सुझाव दिया कि माजदा कूम को पकड़ने के लिए हाजी को गाँव से बुलाया जाना चाहिए। हाजी जब जेनसन के शिविर में मिलने जाता है तो जेनसन गुस्सा हो जाता है। जेनसन को लगता है कि हाजी एक 11-12 साल का दुबला पतला लड़का है। तभी महावतों का सरदार हाजी की मदद करता है। वह उसे एक दूसरी हथिनी सी पो को खोजने के लिए कहता है, ‘सी पो जंगल के बहुत अंदर चली गई है। तुम्हें अपना कमाल दिखाना होगा ताकि जेनसन खुश हो जाए। वह समझ जाएगा कि तुम इतने कमजोर और छोटे भी नहीं हो।‘ हाजी सी पो हथिनी की खोज में दूर जंगल में निकल जाता है। हथनी उसे मिल भी जाती है। लेकिन एक बाघ की भिड़ंत हाजी और सी पो दोनों से होती है। जिसमें हाजी बेहोश हो जाता है, सी पो कहीं गायब हो जाती है। 

हाजी को जब होश आता है तो हथिनी उसे नहीं मिलती। बाघ मारा गया होता है। हाजी को शिविर लौटते हुए, रास्ते में माजदा कूम भी मिलता है। लेकिन वह हाजी को पहचान नहीं पाता और चिंघाड़ता हुए जंगल में चला जाता है। इससे हाजी बहुत निराश होता है। शिविर में महावतों के सरदार को जब ये बातें पता चलती है तो वह हाजी पर गुस्सा होता है और उसे शिविर से चले जाने के लिए कहता है। हाजी को वापस अपने गाँव लौट जाना पड़ता है। क्या हाजी कूम से दुबारा कभी मिल पाया? क्या वह कूम को वापस अपने साथ लौटा पाएगा? कैसे करेगा वह यह काम? उपन्यास में पाठकों के इन सारे सवालों को बहुत सुंदर एवं रोमांचक तरीके से लिखा गया है। जो बहुत पाठक को संतुष्ट करता प्रतीत होता है। जेनसन, महावतों के सरदार और शिविर के अन्य लोगों के बीच एक छोटा लड़का इस काम को कैसे करता है? यह सोचना और फिर पढ़ना एक रोमांचक अनुभव तो दे ही जाता है।

पूरी कहानी बर्मा के ऊपरी इराडावती के सागवान के जंगलों और चिनवा गाँव के आसपास घूमती है। उपन्यास में बर्मा का सांस्कृतिक परिवेश, जंगल का जीवन और वनस्पति, हाथियों को पालने वालों का जीवन, लकड़ी का व्यापार, हाथियों का खान-पान, संवेदनाओं और स्वभाव आदि का बहुत सूक्ष्म और प्रामाणिक चित्रण हुआ है। भाषा आसान है, जिसे कोई भी 8/9 साल से अधिक उम्र का पाठक पढ़ पाएगा। कथानक को उपन्यास विधा होने के बावजूद, खींचा नहीं गया है। इसलिए यह कसा हुआ और प्रवाहमय लगता है। 

कुल मिलाकर एक संजीदा,रोमांचक और पठनीय उपन्यास। जिसे पढ़ना तो आनंद देता ही है, बच्चों को सुनाना भी एक मजेदार अनुभव होगा। 

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