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एक ख़त AA Milne के नाम

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चलते चित्र - 01  27  दिसंबर 2023 रात्रि 10:33 बजे   राजनगर एक्सटेंशन गाजियाबाद डियर AA Milne, मैं आपकी रचनाओं विशेषकर ‘विनि द पूह’ के उपन्यास शृंखला का प्रशंसक हूँ। मेरे बचपन के वे चंद बेहतरीन लम्हे रहे थे, जिनमें मैंने इन कहानियों को पढ़ा था। शहद के प्रशंसक बेयर को आपने हर युवा पाठक का दुलारा बना दिया है। आज की रात जब आपको पत्र लिखने बैठा हूँ तो दिसम्बर के आखिरी हफ्ते का तीसरा दिन गुजर चुका है। दिन भर के काम के बाद मेरी कोशिश रहती है कि जल्दी ही नींद के आगोश में चला जाऊँ। सच कहूँ घड़ी की सूइयाँ मुझे भगाने लगी हैं। परंतु आज नींद जल्दी नहीं आएगी ऐसा लगता है। इसलिए बेड पर बैठा कुछ लिखने की कोशिश में हूँ। पर हर कोशिश कामयाब हो जाए ऐसा होता तो नहीं। सामने दीवार पर टंगे गुलाबी आदमकद बेयर की वजह से मेरा ध्यान बार-बार टूटता है। जब-जब उसे देखता हूँ पता नहीं क्यों वो हर बार एक ही दिशा में अचरज भारी निगाहों से कुछ निहारता दिखता है। मेरी पार्टनर अपनी रायटिंग टेबल पर अपने नई कहानी के पेंचोंखम में उलझी हुई है। जबकि मेरे बगल में बेड पर लेटी मेरी चार साल की बेटी अभी-अभी अपने सपनों की दुनिय

अपने पसंदीदा विषय के काम को दो सौ प्रतिशत देना चाहिए - अजंता

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   credit - desicreative (अजंता गुहाठाकुरता प्रकाशन उद्योग का एक सुपरिचित नाम हैं। इस क्षेत्र में ये पच्चीस सालों से अधिक समय से काम करती आ रही हैं। ये एक इलस्ट्रेटर एवं प्रशिक्षित पेंटर हैं। बाल साहित्य के लिए इनके कार्य उल्लेखनीय हैं। इन्होंने चिल्ड्रेन्स बुक ट्रस्ट , पेंगुइन बुक्स इंडिया (पफिन एंड लेडीबर्ड बुक्स) और इटरनल गैंगेज के साथ व्यावसायिक रूप से पूर्णकालिक काम किया। इनके चित्र और डिज़ाइन भारत के कई अन्य प्रमुख प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित विभिन्न पुस्तकों में दिखाई देते हैं। इनके कामों को राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है एवं खूब सराहा गया है। एक पाठक के रूप में इनके कामों को विगत कई वर्षों से देखता पढ़ता रहा हूँ। चिल्ड्रन बुक इलस्ट्रेशन में काम करने वाले अनेक इलस्ट्रेटर्स अपनी स्टाइल डेवेलप करते हैं और उसी स्टाइल को पकड़ते हुए आगे के काम करते चले जाते हैं। लेकिन अजंता जी इस मामले में अन्य  इलस्ट्रेटर्स से अलग नजर आती हैं। उन्होंने अपने इलस्ट्रेशन की कोई फिक्स्ड स्टाइल नहीं बनाई है।  उन्होंने अलग-अलग तरह के हरसंभव प्रयोग अपने चित्रण में किए हैं। वे अपने काम में ख

निर्मल का शहर और मॉल रोड की लाइब्रेरी

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जिस शहर में जाता हूँ, वहाँ की पब्लिक लाइब्रेरी मेरी साथी बनती हैं। घंटों किताबें तलाशना, पढ़ना, नोट्स लेना फिर उन अनुभवों को दूसरों से साझा करना या लिखना। ये कुछ गतिविधियाँ अन्य जरूरी कामों के साथ मेरी दिनचर्या का हिस्सा बन जाती हैं। मैंने राजस्थान के अलग-अलग शहरों में 6 साल गुजारे हैं। वे 6 साल मेरे लिए पढ़ने और लिखने के लिहाज से सबसे उर्वर सालों में से रहे। वहाँ की लाइब्रेरिज से कुछ अलग सा रिश्ता जुड़ा । बाद के वर्षों में भी राजस्थान नियमित रूप से जाता रहा हूँ। हालाँकि ऐसे तालमेल अन्य राज्यों के शहरों के साथ अभी तक नहीं बिठा पाया। दिल्ली और उसके आसपास रहते हुए चार साल बीत गए।  पर अब तक  यहाँ किसी तरह के प्रयास नहीं कर पाया। ‘किताबें मेरी ‘दूसरी जिंदगी’ रही हैं। मेरी अपनी जिंदगी के समानांतर चलती हुई। किसी अच्छी कहानी या उपन्यास पढ़ने के बाद मुझे बाहर की दुनिया कुछ वैसी ही दिखाई देती थी जैसे बहुत बारिश होने के बाद बादल छँटते ही शिमला के पहाड़ दिखाई देते थे। बाद में मैंने पाया कि किताबें मन का शोक, दिल का डर या अभाव की हूक कम नहीं करती, सिर्फ सबकी आँख बचाकर चुपके से दुखते सिर के नीचे सिरहा

खिलौनों की दुनिया से एक कहानी

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याद रही किताबें - 3 विश्व साहित्य : इंग्लैण्ड  कृति – Hannibal and the Bears लेखिका – मार्गरेट जे० बेकर  प्रकाशन वर्ष - 1965 भाषा - अंग्रेजी मार्गरेट जे० बेकर को मैंने उनके टेडी बीयर सीरिज (प्रकाशन वर्ष 1964 से 1972 तक) के दो उपन्यासों के माध्यम से जाना था. मेरे विचार से वे अंग्रेजी बाल साहित्य की एक प्रमुख लेखिका हैं जिन्होंने पचास से ज्यादा बच्चों की किताबें लिखी हैं. हालाँकि गूगल का सर्च इंजन उनके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं रखता. ऐसा प्रतीत होता है कि आज की पीढ़ी के बच्चे उनकी अधिकांश कृतियों के बारे में कम ही जानते होंगे. जिस शहर में मेरी स्कूली शिक्षा हुई वहाँ किताबों की रेंज नहीं मिलती थी. ना ही बच्चों और किशोर पाठकों के लिए कोई सक्रिय लाइब्रेरी ही थी. जिसकी वजह से मैं एक लम्बे समय तक अच्छी किताबों से महरूम रहा. ख़ासकर विश्व बाल साहित्य की. लेकिन कभी-कभार कुछ किताबों के मिलने का सिलसिला नियमित रहा था. जिस वजह से आज के उपलब्ध समय की तुलना में वह समय गहनता से पढ़ने के लिहाज से ज्यादा माकूल लगता था.   बहरहाल मार्गरेट जे० बेकर के इस टेडी बीयर सीरिज में कुल 6 उपन्यास हैं. यह सीरिज इंग्

एक फ़ायर हॉर्स की रोमांचक कहानी

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याद रही किताबें – 2 विश्व साहित्य : अमरीका  कृति – Blitz  लेखिका – हीटी बर्लिगम बीट्टी प्रकाशन वर्ष - 1961  भाषा - अंग्रेजी (बचपन से ही मुझे घोड़ों से प्यार था। मनुष्य के अलावा धरती पर दूसरा प्राणी घोड़ा ही था , जो मुझे आकर्षित करता था। – प्रियंवद, गोधूलि कहानी में) घोड़ों से मेरी कभी नजदीकी रही हो, ऐसा याद नहीं आता। गदहे और खच्चर तो बिहार और झारखण्ड के उन इलाकों में अमूमन दिख ही जाते थे, जहाँ मेरा बचपन गुजरा है। बिहार का आरा शहर ऐतिहासिक वजहों से अपनी पहचान रखता है। जो बिहार अश्वारोही सैन्य बल का मुख्यालय भी है। बचपन में शहर के बस स्टैंड पर ऊँची कद-काठी वाले सफ़ेद अरबी घोड़े मैंने पहली बार देखे थे। वे मेरे देखे आज तक के सबसे ऊँचे घोड़े थे। पापा बताते हैं कि उनके बाबा को घोड़े रखने का शौक था। वे घोड़ों की खरीद-बिक्री भी किया करते थे। बाद में एक घोड़े ने बचपन में पापा का हाथ चबा लिया था। जिसकी वजह से उसे बेचना पड़ा था। ये कुछ छिटपुट यादें हैं घोड़ों से जुड़ीं। परन्तु घोड़ों की कहानियाँ बेहद आकर्षित करती हैं। किताबों से जुड़ी बचपन की एक ऐसी याद भी रही है, जिसने एक तरह से कुछ दशकों तक मेरी पाठकीय परी